Monday, January 4, 2010

छोटे छोटे एहसास

कभी किसी मुकाम पर,
साहिल मिलता ही नहीं ।
एक ही दिल से ,
दिल का काम चलता ही नहीं।

आरजू पर कैद हैं ,
एहसास में भी दरारें हैं।
कब के गैर हो गए वो ,
जो हमें लगते हमारे हैं।

ना रूह को सुकून मिला ,
ना ही जिस्म को आराम ।
अपनी तो हालत है ,
ना माया मिली ना राम ।

जाने क्यों हर बात ,
दिल को छू जाती है ।
जाने क्यों हर बात पर ,
दिल को हंशी आती हैं ।

बात निकली ,
और दिल मजबूर हो गया ।
एक गलती ,
बेचारा सबसे दूर हो गया ।

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