उम्र के इस दौर में भी ,
हसीनो की हसरत कम नहीं होती ।
बुढापे की दहलीज पर भी ,
आरजुओं की जवानी कम नहीं होती।
हूरों के चक्कर में ,
दिल अभी तक बना लंगूर है ।
बेवक्त की आरजू से ,
बेचारा कितना मजबूर है।
चिकने चिकने चेहरे देख ,
बार बार फिसलता है ।
गोरी गोरी बाहों में ,
कसने को मचलता है।
हर चेहरे में दिल को
नजर आती अपनी हीर है ।
इस उम्र में भी दिल ,
चाहत को लेकर बहुत गंभीर है।
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