Tuesday, January 5, 2010

उम्र के इस दौर में भी ,

हसीनो की हसरत कम नहीं होती ।

बुढापे की दहलीज पर भी ,

आरजुओं की जवानी कम नहीं होती।

हूरों के चक्कर में ,

दिल अभी तक बना लंगूर है ।

बेवक्त की आरजू से ,

बेचारा कितना मजबूर है।

चिकने चिकने चेहरे देख ,

बार बार फिसलता है ।

गोरी गोरी बाहों में ,

कसने को मचलता है।

हर चेहरे में दिल को

नजर आती अपनी हीर है ।

इस उम्र में भी दिल ,

चाहत को लेकर बहुत गंभीर है।

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