नए जमाने का ,
शायद यह नया दस्तूर है ,
जब तक पकड़ा ना जाए,
हर शख्स बेक़सूर है।
हर चीज जो चमकी ,
वो सोना हो गयी ।
असल नक़ल की पहचान ,
जाने कहाँ खो गयी।
जमाने में जिसकी धूम हो ,
बस वही एक हूर है ।
और उसके बगल में खडा हर शख्स
मानो जैसे लंगूर है।
No comments:
Post a Comment