Sunday, January 10, 2010

मेरे दीवानेपन का कोई हिसाब नहीं

मेरे दीवानेपन का ,
कोई हिसाब नहीं .
मेरी दीवानगी की ,
कोई हद जनाब नहीं.

दिन रात बस ,
उसकी ही याद ,
दिल याद करता हैं ,
उसकी हर एक बात .
मेरे होने या ना होने का ,
शायद जिसको ज़रा ,
सा भी एहसास नहीं .
मेरे दीवानेपन का ,
कोई हिसाब नहीं.

कोई इसको समझाए,
कोई इसको बतलाये ,
घुट घुट कर यूँ जीना ,
दिन रात का यह रोना ,
अब सब गलत हैं यह,
कोई सही बात नहीं .
मेरे दीवानेपन का ,
कोई हिसाब नहीं .


अब क्या खुद समझूँ मैं ,
और क्या दिल को समझाऊं.
कैसे यह छोटी सी बात ,
अपने दिल को मैं बतलाऊं.
अगर वो होते साथ ,
सीने से लगा सकता था मैं ,
सुनते वो मेरी बात ,
दूरी सब मिटा सकता था मैं.
पर क्या करूँ मैं ,
जब हाथ में मेरे ,
उन्होंने दिया अपना हाथ नहीं.
मेरे दीवानेपन का ,
कोई हिसाब नहीं .

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