Monday, January 11, 2010

तेरे शहर के लोग

तुझे चाहने की सजा देंगे ,
तेरे शहर के लोग .
तुझसे मेरी शादी  करा देंगे
तेरे शहर के लोग .
अब तक मैं ,
खुल्ला सांड था .
अब मुझे तेरा
पालतू कुत्ता बना देंगे .
तेरे शहर के लोग.



बाद मुद्दत ,
बड़ी तिकड़म के साथ ,
जगाये थे मैंने ,
तेरे दिल में वो सब एहसास .
बड़ी मेहनत से मैंने ,
तुझे पटाया था .
पर मेरी सारी मेहनत पर ,
झाडू फिरा देंगे ,
तेरे शहर के लोग.
तुझसे मेरी शादी करा देंगे,
तेरे  शहर के लोग .

शादी के बाद ,
मिटने लगेंगे सारे एहसास .
महबूबा से तू मेरी ,
बीवी हो जायेगी .
जिन्दगी कितनी ,
फीकी फीकी हो जायेगी .
मेरी रंग बिरंगी जिन्दगी पर ,
सफ़ेद चादर चड़ा देंगे ,
तेरे शहर के लोग .
तुझसे मेरी शादी करा देंगे ,
तेरे शहर के लोग.

Sunday, January 10, 2010

मेरे दीवानेपन का कोई हिसाब नहीं

मेरे दीवानेपन का ,
कोई हिसाब नहीं .
मेरी दीवानगी की ,
कोई हद जनाब नहीं.

दिन रात बस ,
उसकी ही याद ,
दिल याद करता हैं ,
उसकी हर एक बात .
मेरे होने या ना होने का ,
शायद जिसको ज़रा ,
सा भी एहसास नहीं .
मेरे दीवानेपन का ,
कोई हिसाब नहीं.

कोई इसको समझाए,
कोई इसको बतलाये ,
घुट घुट कर यूँ जीना ,
दिन रात का यह रोना ,
अब सब गलत हैं यह,
कोई सही बात नहीं .
मेरे दीवानेपन का ,
कोई हिसाब नहीं .


अब क्या खुद समझूँ मैं ,
और क्या दिल को समझाऊं.
कैसे यह छोटी सी बात ,
अपने दिल को मैं बतलाऊं.
अगर वो होते साथ ,
सीने से लगा सकता था मैं ,
सुनते वो मेरी बात ,
दूरी सब मिटा सकता था मैं.
पर क्या करूँ मैं ,
जब हाथ में मेरे ,
उन्होंने दिया अपना हाथ नहीं.
मेरे दीवानेपन का ,
कोई हिसाब नहीं .

Wednesday, January 6, 2010

मेरी बात पर कभी यकीन ना करना

बात निकलेगी तो,

दूर तक जायेगी ।

बात निकलते ही ,

बिलकुल पराई हो जायेगी।

जाते जाते ,

बात कितने रूप बदलेगी ,

तुझ तक पहुँचते पहुँचते ,

क्या से क्या हो जायेगी।

यह भी हो सकता है ,

तिल का ताड़ हो जाए ।

मैंने जो कहा भी नहीं ,

उसको कहने का गुमान हो जाए ।

यह भी हो सकता है ,

तेरी समझ का रंग ,

मेरी बात पर चढ़ कर ,

उसको ही बदरंग कर दे ।

यह भी हो सकता है ,

मेरी बात बन के आइना ,

मेरे दिल की कोई छुपी हसरत ,

तेरे सामने ब्यान कर दे ।

होने को कुछ भी हो सकता है ,

और इसी वजह से ,

दिल डरता है ।

एक छोटी सी बात कहीं ,

बड़ा झगडा खडा ना कर दे ।

बातों के जाल में ,

फसने की तुम ,

गलती ना करना ,

भूल से भी ,

मेरी बात पर तुम ,

कभी यकीन ना करना।

Tuesday, January 5, 2010

उम्र के इस दौर में भी ,

हसीनो की हसरत कम नहीं होती ।

बुढापे की दहलीज पर भी ,

आरजुओं की जवानी कम नहीं होती।

हूरों के चक्कर में ,

दिल अभी तक बना लंगूर है ।

बेवक्त की आरजू से ,

बेचारा कितना मजबूर है।

चिकने चिकने चेहरे देख ,

बार बार फिसलता है ।

गोरी गोरी बाहों में ,

कसने को मचलता है।

हर चेहरे में दिल को

नजर आती अपनी हीर है ।

इस उम्र में भी दिल ,

चाहत को लेकर बहुत गंभीर है।

नया jamaanaa

नए जमाने का ,

शायद यह नया दस्तूर है ,

जब तक पकड़ा ना जाए,

हर शख्स बेक़सूर है।

हर चीज जो चमकी ,

वो सोना हो गयी ।

असल नक़ल की पहचान ,

जाने कहाँ खो गयी।

जमाने में जिसकी धूम हो ,

बस वही एक हूर है ।

और उसके बगल में खडा हर शख्स

मानो जैसे लंगूर है।

Monday, January 4, 2010

छोटे छोटे एहसास

कभी किसी मुकाम पर,
साहिल मिलता ही नहीं ।
एक ही दिल से ,
दिल का काम चलता ही नहीं।

आरजू पर कैद हैं ,
एहसास में भी दरारें हैं।
कब के गैर हो गए वो ,
जो हमें लगते हमारे हैं।

ना रूह को सुकून मिला ,
ना ही जिस्म को आराम ।
अपनी तो हालत है ,
ना माया मिली ना राम ।

जाने क्यों हर बात ,
दिल को छू जाती है ।
जाने क्यों हर बात पर ,
दिल को हंशी आती हैं ।

बात निकली ,
और दिल मजबूर हो गया ।
एक गलती ,
बेचारा सबसे दूर हो गया ।