Saturday, December 26, 2009

तुम्हे देखकर,

मैंने जाना

किसी को बार बार ,

देखने की हसरत ,

किस तरह ,

दिल को मजबूर करती हैं।

तुम्हे चाहकर ,

मैंने जाना ,

किसी को खुश ,

रखने की हसरत,

किस तरह ,

दिल का अरमान बनाती हैं।

तुम्हे पाकर ,

मैंने जाना ,

किसी के अपने ,

पास होने की हकीकत,

किस तरह,

दिल को आबाद करती हैं।

तुम्हे छू कर ,

मैंने जाना ,

किसी को छू कर ,

पिघल जाने की हसरत ,

किस तरह ,

दिल को बेताब करती हैं।

तुम्हे खोकर ,

मैंने जाना ,

किसे के हमेशा ,

के लिए जाने के बाद ,

किस तरह

जिन्दगी बेमानी लगती हैं।

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