रात भर गिनी हमने बिस्तर की सलवटें ,
रात भर तुझे याद कर बदली करवटें ,
रात भर तेरे साथ गुजारे लम्हात,
की दौलत , दिल सहेजता रहा ।
रात भर आने वालों पलों की सूरत ,
ख्वाबों के आईने में दिल देखता रहा।
रात भर तुझसे दूर होने की मायूसी ,
किसी कोने में सिसकती रही ।
रात भर तुझसे मिलने की उम्मीद ,
धडकनों पर बरसती रही।
रात भर एक हसरत की आग में ,
दिल जलता ही रहा ।
रात भर उम्मीद का , मायूसी का,
दौर चलता ही रहा ।
No comments:
Post a Comment