Thursday, November 5, 2009

अच्छा होता

जिस तरह जाते वक़्त ,
एहसासों को समेत ,
जज्बातों की गठरी बाँध ,
तुम चल दिए ,
अपनी यादों को भी ,
अपने साथ ले जाते तो ,
अच्छा होता।

जिस तरह जाते वक़्त ,
ना पीछे मुडकर देखा
ना ही पीछे से आती सदा ,
पर कान धरा ।
मेरे जज्बातों को भी गूंगा बहरा ,
कर जाते तो
अच्छा होता।

जिस तरह जाते वक़्त ,
जुदाई का मंगल सूत्र पहनते हुए,
तुम्हारे हाथ नहीं कान्म्पे ,
ना ही देहरी लांघते हुए ,
तुम्हारे कदम डगमगाए ।
थोड़ी सी अपनी ये बेरुखी ,
मुझे दे जाते तो ,
अच्छा होता।

जिस तरह जाते वक्त ,
बरसों पुराने बंधन को ,
एक पल में ही तोड़ गए ,
पुराने रिश्ते को ,
पुराने कपडे की तरह छोड़ गए ।
मुझे भी पुरी तरह छोड़ जाते तो ,
अच्छा होता।

Wednesday, November 4, 2009

रात भर गिनी हमने बिस्तर की सलवटें ,

रात भर तुझे याद कर बदली करवटें ,

रात भर तेरे साथ गुजारे लम्हात,

की दौलत , दिल सहेजता रहा ।

रात भर आने वालों पलों की सूरत ,

ख्वाबों के आईने में दिल देखता रहा।

रात भर तुझसे दूर होने की मायूसी ,

किसी कोने में सिसकती रही ।

रात भर तुझसे मिलने की उम्मीद ,

धडकनों पर बरसती रही।

रात भर एक हसरत की आग में ,

दिल जलता ही रहा ।

रात भर उम्मीद का , मायूसी का,

दौर चलता ही रहा ।

Tuesday, November 3, 2009

हसरत मेरी झूठी ही सही

हसरत मेरी झूठी ही सही ,
पर एहसास तो सच्चा था ।
जो भी था ,
वो तेरे मेरे हक का था ।
तेरे जाने के बाद ,
हुआ है मुझको एहसास ,
तेरा मेरा रिश्ता ,
कितना कच्चा था ।
हसरत मेरी झूठी ही सही ,
पर एहसास तो सच्चा था।
तेरे साथ गुजरा हर पल ,
अक्सर अचरज करता हैं
क्या वो कभी हकीकत था ,
या किसी ख्वाब का हिस्सा था ।
हसरत मेरी झूठी ही सही ,
पर एहसास तो सच्चा था।
साथ चलते रहते तो शायद,
मंजिल मिल ही जाती ,
खैर , साथ तुम्हारा कम ही सही ,
पर जितना था बहुत अच्छा था।
हसरत मेरी झूठी ही सही ,
पर एहसास तो सच्चा था।



Monday, November 2, 2009

याद आया

बाद मुद्दत उधर से गुजरा तो ,
गुजरा हुआ जमाना याद आया ।
बीते हुए पल जी उठे ,
हर लम्हा पुराना याद आया ।
कितने ही जज्बात नींद से जागे ,
जब तेरा अलसाना याद आया ।
वो मेरा छूना तुझको ,
तेरा नजरे चुराना याद आया ।
हर समय वो तेरा घबराना ,
आगे बढ़ा कर हाथ पीछे हटाना याद आया।
हदों में रहने की कोशिश में ,
हर हद से गुजर जाना याद आया ।
पहले पहले मिलन के पलों में ,
तेरा मेरी बाहों में बिखर जाना याद आया ।
बड़े वेवक्त मैं उधर से गुजरा ,
बड़े वेवक्त गुजरा जमाना याद आया ।
एक प्यास जो हुई नहीं कभी पूरी ,
उस से मायूस होना याद आया ।