Thursday, October 15, 2009

तुम्हे क्या हुआ हैं

क्यों तुम ऐसे खोए खोए रहते हो ,
जाने वो क्या बात हैं,
जिसे सोचते हो दिन रात ।
चेहरे का रंग भी उड़ा उड़ा सा है ,
आंखों में तन्हाई पसरी हुई हैं ।
जुल्फें बिखर कर चेहरे से
आ उलझी हैं ।
जाने कहाँ तुम ,
नींद को भूल आए हो ।
क्यों तुम कभी हंसते ही नहीं,
मुस्कराहट से ही काम चला लेते हो ,
सवालात से परेशान हो कर के ,
चेहरा क्यों छुपा लेते हो ,
आंखों में अब यह नमी का एहसास क्यों है ,
क्या मैं यह सोचूं ,
मुझसे जुदा हो कर ,
ख़ुद से भी जुदा हो गए हो ।
मुझे तनहा कर के ,
तुम भी तनहा हो गए हो।

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